ईएसआई डिस्पेंसरी में खुले में जलाया जा रहा बायोमेडिकल कचरा, जिम्मेदार कौन पता नहीं
एक ओर सरकार जहां स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर बायो मेडिकल कचरे से होने वाले कुप्रभावों से जिले की ईएसआई डिस्पेंसरी के जिम्मेदारी बेफ्रिक बैठे हैं। ईएसआई डिस्पेंसरी में शुक्रवार को अमर उजाला टीम ने पड़ताल की तो पाया कि डिस्पेंसरी के सामने तो स्थिति सही है, लेकिन पीछे व दाएं-बाएं नियमों को ताक पर रखकर खुले में दवाओं को फेंका गया है। इस दौरान अधिकांश दवाओं को खुले में ही जलाने का प्रयास किया गया। कुछ दवाओं पर एक्सपायरी डेट तक नहीं मिली। वहीं प्रयोग किए गए सीरिंज खुले में फेंके हुए मिले। इस दौरान जिम्मेदार से संपर्क करने का प्रयास किया तो मालूम हुआ कि यहां के स्टाफ को यह नहीं पता की ईएसआई डिस्पेंसरी रोहतक का प्रभारी कौन है। कोई यहां का प्रभारी गुरुग्राम के सिविल सर्जन को बताता है तो कोई भिवानी के सिविल सर्जन को। जबकि सच्चाई यह है कि लगभग पांच दिन पहले यहां का चार्ज ईएसआई भिवानी की प्रभारी डॉ. नीतू गोयल को दिया गया है। प्रभारी के अभाव में डिस्पेंसरी की हालत दयनीय है। यहां साफ-सफाई के अभाव के अलावा चिकित्सा विज्ञान के नियमों को ताक पर रख कर खुले में बॉयो मेडिकल वेस्ट निपटाया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि डिस्पेंसरी के पीछे जलाई जा रही दवाईयां व सीरिंज किस अकाउंट से हैं।
हाउसिंग बोर्ड में संचालित हो रही ईएसआई डिस्पेंसरी के जिम्मे रोहतक में कम आय वाले पंजीकृत कर्मचारियों का उपचार करना व सरकार की ओर से मान्य सुविधाओं का लाभ उपलब्ध करवाना है। इसके लिए यहां डॉक्टरों, नर्सों, लैब तकनीशियनों, फार्मासिस्टों की पूरी टीम तैनात है। इसके अलावा यहां के एक बडे़ भवन के ग्राउंड फ्लोर पर छोटी सी डिस्पेंसरी संचालित हो रही है, जबकि प्रथम तल पर रिहायश है। डिस्पेंसरी से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे का निस्तारण भी नियमों के खिलाफ हो रहा है। जबकि बायो मेडिकल वेस्ट व एक्सपायर दवाओं को इंसीनेटर में ही खत्म किया जा सकता है। इसके अलावा एक्सपायर दवाओं का रिकार्ड मैंटेन कर सरकार के पास भेजना होता है, इसके बाद नियमानुसार इन्हें खत्म किया जाता है।
खुले में दवा, सीरिंज फेंकने का है नुकसान
मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि सीरिंज व दवाओं को खुले में नहीं फेंका जा सकता। इसके डिस्पोज करने का अलग तरीका होता है। सर्जिकल सामान व एक्सपायर दवाओं का स्टाक बना कर इन्हें इंसीनेटर में खतम करना होता है। एक्सपायर दवाओं की डिटेल भी सरकार को देनी होती है। खुले में बायो मेडिकल चीज डालने का नुकसान यह है कि यह जमीन में मिल जाती है या हवा-पानी में मिल जाती है। इसके बाद यह वापस लाइफ साइकिल में आ जाती है। पशु-पक्षी यदि इसका प्रयोग कर लेते हैं तो उसका भी नुकसान होता है। फूड सिस्टम में इन चीजों के आने पर अधिक नुकसान होता है।
अधिकारियों का अपना तर्क
ईएसआई रोहतक के बारे में पता किया है, यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस संबंध में ईएसआई का स्टाफ और कार्यालय ही बता सकता है। संभव है कि डॉ. नीतू इसका चार्ज संभाल रही हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठा रही हैं। इस बारे में अधिक कुछ नहीं कह सकता।
- डॉ. कृष्ण, सिविल सर्जन, भिवानी
ईएसआई रोहतक मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। पहले कभी यह चार्ज रहा होगा। अब इसका प्रभारी कौन है, संज्ञान में नहीं है। ईएसआई कार्यालय ही इस संबंध में कुछ कह सकता है।
- डॉ. जसवंत सिंह, सिविल सर्जन, गुरुग्राम
पांच दिन पहले ही ईएसआई डिस्पेंसरी रोहतक का चार्ज मिला है। वहां पर डॉ. सुचेता प्रभारी हैं। वहां कोई अनियमितता है, इस संबंध में वहां की प्रभारी ही बता सकती है। इस संबंध वह स्वयं भी डॉ. सुचेता से बात करेंगी।