नियमों का पालन न करने से चरमराई ट्रैफिक व्यवस्था

 


नियमों का पालन न करने से चरमराई ट्रैफिक व्यवस्थ



शहर की सड़कों पर दूर तक अतिक्रमण, बेतरतीब खड़े वाहन और नियमों का उल्लंघन। इन तीन वजह से शहर की यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है। सड़कों पर दिनभर जाम है। इस व्यवस्था पर न यातायात पुलिस पार पाई सकी है न आम आदमी। नतीजतन हर आम और खास परेशान है। सब कुछ जानते बूझते हर आदमी व्यवस्था से जूझने को विवश है। इस व्यवस्था से पार पाना आसान है। बशर्ते हम खुद से बदलाव की शुरुआत करें। अपनी कमी से ही शहर की ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई हुई है। यह कहना है शहर के शिक्षित युवाओं का। वे शुक्रवार को अमर उजाला के बेस (बिजनेस एकेडमिक सोशल ऐंड एंटरप्रन्योर) कार्यक्रम के तहत ट्रैफिक व जाम और युवाओं की भूमिका विषय हुए संवाद में बोल रहे थे।


 

दोस्तों को चालान से बचाने के लिए पुलिस को सिफारिश करना यातायात नियमों का उल्लंघन है। यही नहीं अपनी प्रतिष्ठा भी गिरती है। इससे बचने की जरूरत है। यहीं से यातायात व्यवस्था चरमराना शुरू हो जाती है। इसका परिणाम जाम के रूप में सामने आता है।
- संदीप वर्मा, अधिवक्ता।
शराब पीकर गाड़ी चालान यातायात नियम का उल्लंघन है। हालांकि नियम वाहन में सवार लोगाें की सुरक्षा के लिए है, मगर चालक की गलती से पूरे परिवार को परेशानी झेलनी पड़ती है। पुलिस का ऐसे में केवल चालान काट कर इतिश्री कर लेना गलत है।
- चेतना अरोड़ा, सदस्य, सड़क सुरक्षा संगठन।
यातायात व्यवस्था बनाने व जाम से बचने के लिए आसपास जाने के लिए चार पहिया वाहन के इस्तेमाल से बचने की जरूरत है। जरूरी हो तो दुपहिया वाहन या साइकिल का इस्तेमाल करें। इलेक्ट्रिक वाहन का प्रयोग प्रदूषण से भी बचाता है।
- सन्नी मलिक, समाज सेवी।
शहर में गहराई जाम की व्यवस्था से निपटने के लिए खुद कुछ करने की जरूरत है। इसकी शुरुआत वाहन चलाते समय खुद छोटे-छोटे यातायात नियमों के पालन से हो सकती है। इसमें हैलमेट लगाना, सीट बेल्ट लगाना शामिल है।
- शुभम मनचंदा, अधिवक्ता।
शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था के लिए काफी हद तक अतिक्रमण जिम्मेदार है। इसे हटाने की जरूरत है। हम खुद भी अपने वाहन सड़कों पर इधर उधर खड़ा न करें। व्यवस्था बनाने के लिए ही सरकार ने चालान के रेट बढ़ाए हैं।
- नकुल शर्मा, अधिवक्ता।
पहला अपराध ट्रैफिक रूल का उल्लंघन करना है। इसी से दूसरे अपराध का हौसला मिलता है। यही वजह है कि यूएसए में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर सख्त नियम व सजा के प्रावधान हैं। हमें भी ऐसा ही कुछ करने की जरूरत है। युवा एनर्जी है। इसके पथ भ्रमित होने की संभावना ज्यादा रहती है।
- सौरभ गोयल, न्यायाधीश।
जाम के कारण यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है। इसकी बड़ी वजह एक परिवार में चार गाड़ियां होना है। घर से बाहर थोड़ी दूर जाने के लिए भी लोग वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए साइकिल का प्रयोग बेहतर है।
- प्रवीण मलिक, स्पोर्ट्स एकेडमी संचालक।
शहर की जाम व यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हमें खुद प्रयास करने होंगे। इसके अलावा जिस दिन बाइक पर पीछे बैठने वाला हैलमेट पकड़ना छोड़ देगा, यातायात नियमों की पालना शुरू हो जाएगी। इसी से सुधार होगा।
- अभिषेक शर्मा, उद्यमी।
यातायात व्यवस्था बनाने के लिए नियमों की पालना जरूरी है। दुपहिया वाहन चालक हैलमेट पहने। इसके लिए अपनी सोच बदलनी होगी। इसे बेहतर बनाने की जरूरत है। युवा इस अभियान में आगे आएं। तभी प्रयास सफल होगा।
- कोमल भुट्टन, एक्टिविटी इंचार्ज।
नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बच्चों को जागरूक बनाना जरूरी है। नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों को उनकी गलती का अहसास कराएं। इसके लिए उन्हें फूल, हैलमेट देकर प्रेरित किया जा सकता है।
- सीमा राठी, शिक्षिका।
जाम व यातायात की लचर व्यवस्था हमारी अपनी कमी है। यही नियम चंडीगढ़ में भी हैं। वहां नियम का उल्लंघन वकील करता है न आईएएस या आईपीएस। वहां सीधे सीसीटीवी से चालान होता है। यहां भी व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए।
- शांतनू सैनी, अधिवक्ता।
नियम हमारे लिए हैं। हमें इनका पालन करना चाहिए। पहले नियमों को हम खुद लागू करें, फिर दूसरों को सलाह दें। जहां हम साइकिल से जा सकते हैं, वहां बाइक या कार नहीं ले जानी चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी हल होगी।
- निशा नांदल, ब्लॉक कोर्डिनेटर।
जाम हमारी अपनी लापरवाही की देन है। हम खुद नियमों का पालन करें व दूसरों को समझाएं। सड़क पर वाहन खड़े न करें। सरकार व प्रशासन भी पार्किंग की सुविधा जनता को मुहैया कराए। इससे समाधान संभव है।